Ohm's law, simple electrical circuits (ओह्म का सिद्धान्त, सरल इलेक्ट्रिकल सर्किट)

इलेक्ट्रिकल सर्किट के आधारभूत प्रकार्यों की समझ ओह्म के सिद्धान्त के माध्यम से सर्किट प्रकार्यों के बीच का सम्बन्ध बताना इलेक्ट्रिक सर्किट में ओम्ह के
उद्देश्य : इस पाठ के अन्त में आप निम्नलिखित कार्य करने योग्य होंगे
  • इलेक्ट्रिकल सर्किट के आधारभूत प्रकार्यों की समझ
  • ओह्म के सिद्धान्त के माध्यम से सर्किट प्रकार्यों के बीच का सम्बन्ध बताना
  • इलेक्ट्रिक सर्किट में ओम्ह के सिद्धान्त का अनुप्रयोग करना
  • इलेक्ट्रिक पावर एवं ऊर्जा को परिभाषित करना और सम्बन्धित प्रश्नों की गणना करना।

सरल विद्युत परिपथ (Simple electric circuit)

simple electrical circuit

चित्र में दिखाए सरल बिजली परिपथ में जब स्विच ऑन किया जाता है तो धारा बैटरी के धनात्मक टर्मिनल से निकलकर लोड के रास्ते बैटरी के ऋणात्मक टर्मिनल मे वापस आकर अपना पथ पूरा करती है। एक परिपथ के कार्यकरने के लिए निम्नलिखित तीन तत्व (विभवान्तर, धारा, प्रतिरोध) जरूरी होते है।

विभवान्तर (V) 

किन्हीं दो बिन्दुओं के विद्युत विभवों के अंतर को विभवान्तर या 'वोल्टता' (voltage) कहते हैं। दूसरे शब्दों में, इकाई धनावेश को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में किए गए कार्य को उन दो बिन्दुओं के बीच का विभवान्तर कहते हैं। 

विभवान्तर को वोल्टमीटर द्वारा मापा जाता है। वोल्टता, किसी स्थैतिक विद्युत क्षेत्र के द्वारा, विद्युत धारा के द्वारा, किसी समय के साथ परिवर्तनशील चुम्बकीय क्षेत्र के कारण या इनमें से किसी दो या अधिक के कारण पैदा होता है।

विद्युत-वाहक बल (EMF) किसे कहते है? - किसी परिपथ के दो खुले सिरों (टर्मिनल्स) के बीच ईकाई आवेश को प्रवाहित करने में किये गये कार्य की मात्रा को उन दो बिन्दुओं के बीच का विद्युतवाहक बल कहते हैं 
विद्युतवाहक बल (electromotive force, या emf) वह कारण होता है जो इलेक्ट्रॉन / आयन परिपथ में प्रवाहित करता है। विद्युत वाहक बल का S.I. मात्रक वोल्ट (V) है। प्रति एक जूल कार्य के लिय आवश्यक एक कुलाम आवेश की मात्रा एक वोल्ट कहलाती है।
volt
जहाँ -
   V विद्युतवाहक बल वोल्ट (V) में
   W कार्य जूल (J) में
   Q आवेश कुलाम (C) में.

विद्युत धारा (I)

चालक में से इलेक्ट्रॉन / आयन के प्रवाह को ही विद्युत धारा (I) कहते हैं। मात्रात्मक रूप से, आवेश के प्रवाह की दर को विद्युत धारा कहते हैं। 

विद्युत धारा को अमीटर द्वारा मापा जाता है। इसका SI मात्रक एम्पीयर (A) है। एक कुलाम प्रति सेकेण्ड की दर से प्रवाहित विद्युत आवेश को एक एम्पीयर धारा कहेंगे।
जहाँ -
  I विद्युत धारा एम्पीयर (A) में
  Q आवेश कुलाम (C) में
  t समय सेकंड (Sec) में.

प्रतिरोध (R)

विद्युत धारा प्रवाह के मार्ग में बाधा या रूकावट को ही प्रतिरोध (R) कहते है। किसी प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवान्तर तथा उससे प्रवाहित विद्युत धारा के अनुपात को उसका विद्युत प्रतिरोध (electrical resistance) कहते हैं। 

प्रतिरोध (R) को ओह्म (Ω) में मापा जाता है। इसकी प्रतिलोमीय मात्रा है विद्युत चालकता (G), जिसकी इकाई साइमन (S) होती है। 

किसी वस्तु का विद्युत प्रतिरोध उसकी लम्बाई के समानुपाती होता है, वस्तु के अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल के  विलोमानुपाती होता है तथा वस्तु किस पदार्थ का बना है, उस पर निर्भर करता है। समान धारा घनत्व मानते हुए, किसी वस्तु का विद्युत प्रतिरोध, उसकी भौतिक ज्यामिति (लम्बाई, क्षेत्रफल आदि) और वस्तु जिस पदार्थ से बना है उसकी प्रतिरोधकता का फलन होता है।

जहाँ
   R विद्युत प्रतिरोध ओम (Ω) में
   पदार्थ के टुकड़े की धारा की दिशा में लम्बाई मीटर में
  A धारा की दिशा के लम्बवत पदार्थ का क्षेत्रफल, m² में
  ρ (rho / रो ) वस्तु की प्रतिरोधकता ओम मीटर [Ω m] में.

वैद्युत प्रतिरोधकता (Electrical resistivity) क्या होती है ? - पदार्थ द्वारा विद्युत धारा के प्रवाह का विरोध करने की क्षमता को वैद्युत प्रतिरोधकता कहते है। कम प्रतिरोधकता वाले पदार्थ आसानी से विद्युत आवेश को चलने देते हैं। इसकी SI ईकाई ओम मीटर [Ω m] है।

ओह्म का सिद्धान्त (Ohm's law)

सन् 1826 में ज्योर्ज सियोन ओह्म ने पता लगाया कि धातु कन्डकटरों के लिए कन्डक्टरों के सिरों के बीच में मूलतः पोटेन्शियल अन्तर का स्थिर अनुपात है।

परिपथ में विद्युत वाहक बल, धारा और प्रतिरोध के बीच सम्बन्ध ओम नियम द्वारा दिया जाता हैं।

ओह्म सिद्धान्त कहता है कि किसी भी बन्द इलेक्ट्रिक सर्किट में प्रवाहित धारा (I) चालक के सिरों पर उत्पन्न विभवान्तर (V), के समानुपाती होती है, और स्थिर तापमान पर प्रतिरोध (R) के साथ व्यत्क्रमानुपात में होती है।
अर्थात्
I ∝ V (जब R को स्थिर रखा जाता है)
I ∝ R (जब V को स्थिर रखा जाता है)
I ∝ V / R (I,V और R के बीच का सम्बन्ध)
इस प्रकार V= IR, I= V/R, R= V/I इन तीन फॉर्मूलों की प्राप्ति होती है।
जहाँ -
  V विद्युतवाहक बल वोल्ट (V) में
   I विद्युत धारा एम्पीयर (A) में
   R विद्युत प्रतिरोध ओम (Ω) में

गणित पद्धति में लिखने पर ओह्म सिद्धान्त इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है। 

चरम परिपथ स्थितियां (Extreme circuit conditions)

विद्युत परिपथ मुख्यतः तीन प्रकार के होते है, एक परिपथ में दो चरम स्थितियां (खुला परिपथ,लधु परिपथ) उत्पन्न हो सकती हैं

खुला परिपथ (Open circuit)

एक खुले परिपथ में, अत्यधिक उच्च प्रतिरोध होता हैं। परिपथ में ऐसी स्थिति घटित हो सकती है जब स्विच बंद होता है जिसके कारण परिपथ में कोई धारा प्रवाह नहीं होता है। उदाहरणार्थ, एक सॉकेट खुला परिपथ होता है यदि सॉकेट का नियंत्रण स्विच 'आफ' या 'आन' स्थिति में हैं बशर्ते कि सॉकेट में कोई उपकरण प्लग न किया गया हो

बंद परिपथ (Closed circuit)

एक बंद परिपथ में लोड प्रतिरोध उपस्थित होता है जिसके कारण इसमें धारा प्रवाहित होती है, एक बंद परिपथ हमेशा वर्किंग स्थिति में होता है। जिस इलेक्ट्रिक परिपथ जिसमे विद्युत उपकरण कार्य करता है वह बंद परिपथ का उदाहरण है।

लधु परिपथ (Short circuit)

लधु परिपथ में लोड प्रतिरोध का मान शून्य हो जाता है जिस कारण अत्यधिक मात्रा में धारा का प्रवाह होता है यदि कोई सुरक्षा युक्ति परिपथ में नहीं लगी हो तो उपकरण खराब हो सकता है। लधु परिपथन केबल की खराबी के कारण हो सकता है, बैटरी के सिरों को बिना लोड के सीधे ही जोड़ने से हो सकता है।

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